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आम जनता घोटालों को सुनकर त्रस्त है नित नए नए अवतारों में , मानो स्वयं प्रभु मानो धरा पर नित नित अवतरित हो रहे हो.और कांग्रेस रूपी जनता हर अवतार के बाद तत्काल ही एक नए अवतार के लिए प्राणायाम करने लगती है न घोटाले हर मानने वाले है न कांग्रेस इससे उब सकती है , मगर हम क्या करे ? नित नए नए कारनामो से तो साधरण जन मानस का धैर्य ही जबाब दे रहा है . अपने ही मन को उत्तर देने में हम निरुत्तर है की आखिर कब तक और आने वाले सोनिया काल में कौन कौन से नवीन घोटाले होने वाले है ?
क्या आप सब भी उब गये है ? अगर हा तो आप क्या सोचते है इस बारे में ? क्या कोई समाधान नहीं है ?
चलिए कुछ नहीं कर सकते तो क्यों न एक ऐसा ही कर दिया जाये की हमे भविष्य में घोटालों को सुनकर कोई आश्चर्य या तनिक भी दुःख न हो .
सोचता हूँ की घोटाले को सविधान में अनवरत संसोधनो की तरह एक और संसोधन करके इसे क़ानूनी रूप देकर ही व्यवहार में लाया जाये. अर्थात घोटाले को कानूनन जायज बना दिया जाये.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की तरह हर भारतीय नागरिक को घोटाले करने का अधिकार दे दिया जाये.
इससे कई फायदे है . सबसे बड़ा तो इसे कानूनन जायज हो जाने के बाद घोटाले करने में किसी को कोई शर्मिंदगी नहीं होगी और साधारण जनमानस जो इससे उब रहा है , उसका ह्रदय बार बार दु.खी और द्रवित होने से बच जायेगा. ऐ तो हुआ जनता को और घोटालेबाजो को मिलने वाला लाभ ,
साथ ही में सोनिया जी के सरकार (मनमोहन सरकार कहना न्यायोचित नहीं लगता) के नाम एक और उपलब्धि भी हो जाएगी की , उन्होंने एक और सालो से चली आ रही समस्या का अंत कर दिया.
इसमें प्रणव मुखेर्जी जी के नए सर्विस टेक्स के प्रावधान की तरह १२ % सर्विस टेक्स जोड़ दिया जाये.जिससे राजस्व में भरी इजाफा भी होगा , जिससे वो इंदिरा या राजीव के नाम पर कोई और नई योजना का शुभारंभ भी कर सकते है .
ऐसा करने में इन्हें कोई दिक्कत भी नहीं होगी , आखिर इतने कुशल और सिध्स्त लोग जो बैठे है मनमोहन सरकार में .
२ जी घोटाला , कोयला घोटाला, कोमेंन्वेल्थ घोटाला और पता नहीं क्या क्या? और हा नया नया रक्षा घोटाला वैगेरह वैगेरह….
और विधिवत इसका मंत्रालय बनाकर एक सबसे काबिल महिला श्रीमती सोनिया गाँधी को इसका जिम्मा स्वंय ले लेना चाहिए ,आखिर इन सब के पीछे इन्ही का तो हाथ है
कुछ श्रेय इन्हें भी लेने का हक है आखिर कितना त्याग करेंगी ऐ देश के लिए……
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