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भ्रस्टाचार विरोधी दस्ता

From My Diary
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अन्ना जी तो कहते ही रह गए इस बार भ्रष्टाचार पर आर पर की लड़ाई होगी , मगर चतुर और कुटिल राजनेताओ के आगे उनकी एक न चली . उन्होंने बड़े बड़े आंदोलन किये और सफलता भी प्राप्त की मगर वो मसले या तो जिला स्तर के थे या तो राज्य स्तर के . मगर इस बार उनका पाला सीधे सीधे संसद से हो गया . अब एक तरफ संसद तो दूसरी ओर अन्ना . अब कहा तक हुंकारते ?
खैर पिछले सत्र के दौरान भारत के माननीय मूक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर इसका थोडा तो असर जरूर हुआ , उन्होंने भी संसद में भ्रष्टाचार पर आर पर की लड़ाई का एलान कर डाला . अन्ना जी ने कम से कम इतना प्रभाव तो जरुर छोड़ा. अब जबकि मनमोहन सिंह ऐ बात कहते है तो सोनिया जी का आशीर्वाद लेकर ही कहा होगा ,, क्युकी उनकी इजाजत के बिना तो अभिवादन के लिए भी हाथ भी नहीं हिलाते . खैर बात भ्रष्टाचार की हो रही थी , तो आम हिन्दुस्तानी होने के नाते मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है मैं भी प्रधानमंत्री जी के साथ इस लड़ाई में साथ साथ हूँ. (एक आम आदमी की तरह शारीरिक या आर्थिक रूप से नहीं , बल्कि सलाहकार के रूप में ) उनका चिंतन वाजिब भी है. वो ऐ कहते है की वो इस पर अंकुश भी लगाएँगे , और कुछ कठोर कदम भी उठाएँगे.
अब जहा आखिर चपरासी से लेकर मंत्री इस आकंड में ही डूबे है वहा इस पर अंकुश की बात करना ही एक बड़ी उपलब्धि प्रतीत होती है अब मैं अपने मौलिक अधिकारों का तो प्रयोग कर ही सकता हूँ ( हलाकि सिब्बल जी इसका भी हनन करने को बेताब है ) तो क्यु न मुफ्त में सलाह ही दे दी जाए .
प्रधानमंत्री जी को सबसे पहले इसके लिए लोकपाल की जगह एक संयुक्त संसदीय समिति बनानी चाहिए , जिसका मुखिया एक केन्द्रीय स्तर का मंत्री हो , इस समिति के लिए कई उपयुक्त लोग तो सरकार के बहुत करीबी भी है मसलन “ कनिमोझी , भगत सिंह कुलस्ते , हाल में नौ महीने के पुनर्जन्म के बाद लौटे कलमाड़ी जी , अमर सिंह जी लालू जी “ वैगरह वैगरह … समिति के मुखिया के लिए ऐ राजा मेरे हिसाब से उपयुक्त होंगे , हलाकि लालू जी ज्यादा अनुभवी है मगर नए संचार युग में वो राजा जी से थोडा पीछे रह जाते है अब ऐ कहावत तो सबने सुनी ही है “ लोहा ही लोहे को काटता है “ यह कहावत यहाँ कितनी उपयुक्त लगती है . इनके पास अपार अनुभव भी है और ऐसे संवेदनशील तथा कठिन विषय के लिए अनुभव बहुत मायने रखता है . अब इसपर बात होगी तो और भी कई नाम आयंगे जो आप प्रबुद्ध लोग प्रस्तावित करेगे ही .
इसमें कई पूर्व सांसदों तथा मंत्रियो को शामिल किया जा सकता है मसलन “ सुखराम ‘ वैगैरह.. ईससे समिति थोड़ी और भी प्रभावी बन पाएगी . वैसे ऐ तो बस एक व्यक्तिगत सुझाव भर ही है
इसी तर्ज पर राज्यों में भी लोकायुक्त की जगह ऐसी ही समिति बने जाये जो भ्रष्टाचार पर कठोर कदम उठाएगी. चुकी मैं झारखण्ड और उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता हूँ तो कम से कम इन राज्यों के लिए भी कुछ नाम प्रस्तावित करना चाहूँगा . झारखण्ड के लिए तो किसी को कुछ सोचना ही नहीं है यहाँ तो पूरी समिति एक ही छत के निचे ही मिल जाएंगी बिलकुल वालमार्ट या बिगबाजार के शोपिंग माल की तरह .
अब कमलेश सिंह , एन्नोस एक्का , भानुप्रताप शाही , बंधू तिर्की , वैगरह वैगैरह , और मुखिया भी पूर्व मुख्यमंत्री स्तर का माननीय श्री मधु कोड़ा जी . उम्मीद है झारखण्ड के अधिकतर लोग इन नामो का समर्थन करेगे शायद ही विरोध हो.

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