Menu
blogid : 10038 postid : 12

ज्यादा की नहीं चाहत हमको

From My Diary
From My Diary
  • 17 Posts
  • 8 Comments

बीते दिन लन्दन ओलम्पिक २०१२ का समापन हुआ . भारत के दृष्टिकोण से पदको के हिसाब से यह ओलम्पिक खेलो में भारत का सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा , कम से कम हमारे लिए ऐ थोड़े सम्मान की बात तो जरुर है , हलाकि आलोचकों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है .
जहा तक पदको की बात है तो केवल एक पदक सुशील कुमार का आशा के अनुरूप रहा , हलाकि हम लोगो ने उनसे स्वर्ण पदक किया आश लगा रखी थी . बहरहाल उनका पदक उनकी क़ाबलियत को तो साबित करता ही है .
पहली बार ओलम्पिक खेलो में महिला बाक्सिंग शामिल की गयी और मेरीकोम के सहारे ५१ किलोग्राम वर्ग में हमें उनसे स्वर्ण पदक की पूरी आश थी मगर ऐ हो ना सका . मेरोकोम पिछले पांच सालो से विश्व चैम्पियन है और उनका साहस और धैर्य तो कबीले तारीफ है मगर उनसे कांस्य पदक पार संतोष करना पड़ा .
बाकि के जीते पदक तो अप्रत्यासित से लगे . अर्थात उनपर कोई बड़ा भरोसा नहीं था मगर उन्होंने कर दिखाया . उनके इस प्रदर्शन पर उन्हें बहुत बहुत बधाई .
हा एक पदक मेहरबानी की तरह से मिल गया , साइना नेहवाल का कांस्य पदक , वो उस मैच में भी पिछड़ रही थी मगर सामने वाली खिलाडी के हटने से उन्हें कांस्य पदक मिला , मगर शायद वो इस पदक से खुश नहीं होंगी , उन्हें अपने आप से इससे भी बढ़कर अनुमान था , मगर
उन्हें इसी से संतोष करना पड़ा. खैर जब आप बेहतर खेल दिखाते है तभी आप से लोगो को और बेहतर की उम्मीद होती है और भारत जैसे देश में जहा खेल प्रतिभाओ का आकाल सा है वहा आपकी थोड़ी सफलता से भी लोग आपसे बहुत उम्मीद बांध लेते है .
मगर इन सब पदको के बाद भी कई खिलाडी ऐसे भी है जिनके प्रदर्शन से आम भारतीयों को निराशा हुई है , मसलन अभिनव बिंद्रा ,विजेंदर , सानिया मिर्जा , सोढ़ी , दीपिका कुमारी , लिएंडर पेस , महेश भूपति वैगरह …और हा भारतीय हाकी टीम .
इन लोगो से ही हमें सबसे ज्यादा पदको उम्मीद थी मगर ऐ हो ना सका .
अगर इन खिलाडियो का प्रदर्शन आशा के अनुरूप होता तो शायद हम इतिहास में पहली बार अपने पदको की संख्या दोहरे अंको में पंहुचा सकते थे . मगर ऐसा हो ना सका .
मगर इतिहास बनते रहते है और हमें ऐ उम्मीद तो रखनी चाहिए की अगली बार रियो द जेनेरियो में शायद ऐ करिश्मा हो जाये .
और उम्मीद पर दुनिया कायम है और उसपर हम भारतीय तो ऐ पहले ही कह चुके है की “ ज्यादा की नहीं चाहत हमको थोड़े में गुजारा होता है “

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply