From My Diary
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मैं तो बस मैं ही था
क्या था मैं उन दिनों ….?
मैं तो जरा सा बस
कुछ खुदमुख्तार था
ना कोई बड़ी उम्मीद थी
ना हालात से बेजार था
जिंदगी का रुख हो जिस तरफ
बस उस तरफ ही चल पड़ा
किस धुन में युही चलते हुए
मैं ऐ कहा निकल पड़ा ?
जहा तुम मिले ,
जब तुम मिले तो क्या मिला
यु लगा दुनिया मिली
हर खुशी इस जहाँ की
बन राहबर बन मेरे संग चली
पर तुम भी मिले तो क्या मिले
एक रोज तुमसे मिलके गले
कुछ चाक यु जिगर हुआ
जैसे कोई नस्तर चले
अब खुद पे मैं हैरान हूँ
तंगहाल हूँ परेशान हूँ
गर होता न मै
तो होता क्या ?
गर होती ना वो
तो मैं यु रोता क्या ?
तब क्या था मैं ?
अब क्या हूँ मैं ?
कभी रोशन था मैं
अब बुझा हूँ मैं ….
मैं तो बस मैं ही था
क्या था मैं उन दिनों …. ?
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